| Source: VSK- JODHAPUR Date: 9/27/2012 2:43:48 PM |
लंदन, 27 सितम्बर 2012 : ब्रिटेन के एक चर्च ने अपने कैंपस में योग करने पर बैन लगा दिया है। चर्च का कहना है कि कसरत का यह प्राचीन भारतीय तरीका उनकी धार्मिक भावनाओं से मेल नहीं खाता है।| Source: VSK-Nagpur Date: 9/26/2012 5:15:31 PM |
नागपुर : राष्ट्र सेविका समिति द्वारा संचालित देवी अहल्या मंदिर के वनवासी बालिका छात्रावास की छात्राओं का ‘विद्याव्रत संस्कार’ रविवार दिनांक ९ सितम्बर को सम्पन्न हुआ. समिति की दो पूर्व प्रमुख संचालिकाएं – वन्दनीय उषाताई चाटी तथा वन्दनीय प्रमिलाताई मेढ़े ने इन ४२ बालिकाओं को ‘ॐ’ रेखांकित व्रत चिन्ह प्रदान किया.
बालिकाओं के विद्याव्रत संस्कार का उल्लेख अनेक प्राचीन भारतीय ग्रंथो में आता है. उस काल में वेदों के अध्ययन का अधिकार महिलाओं को था. वेदों की अनेक रुचाएं महिलाओं द्वारा रची गई हैं. कालांतर में पाणिग्रहण संस्कार, याने विवाह यही एक उनके लिए मुख्य संस्कार बन गया, इसलिए विद्याव्रत या उपनयन संस्कार का लोप हुआ. इस संस्कार के कारण बुद्धि, धारणाए और प्रज्ञा विकसित होने में सहायता होती है. इसलिए ज्ञान प्रोधिनी ने इस संस्कार को पुनः जीवित किया है. देवी अहल्या मंदिर में सम्पन्न इस विद्याव्रत संस्कार से छात्राओं को बुद्धि को परिष्कृत करने में आसानी होगी. उसी प्रकार उनके जीवन में कुछ अच्छे संस्कार भी आ सकेंगे.
कार्यक्रम के पश्चात बातचीत में वन्दनीय प्रमिलाताई जी ने बताया की इसी प्रकार का विद्याव्रत संस्कार १९९०-९१ में हुआ था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय सरसंघचालक बालासाहेब देवरस उस अवसर पर प्रमुख रूप से उपस्थित थे. उस समय किसी ने बालासाहेब से पूछा गया कि यह सब उनको पसंद और स्वीकार्य है? बालासाहेब आधुनिक विचारों के प्रतिनिधि माने जाते थे और इसलिए उनसे इस संदर्भ में नकारात्मक प्रतिक्रिया आएगी, ऐसा पूछनेवाले का अंदाज़ था. परन्तु, बालासाहेब ने जब यह कहा की इस कार्यक्रम में वे सम्मिलित हुए इस का अर्थ क्या हो सकता है? तो पूछनेवाले आश्चर्य चकित हो गए.


| Source: VSK-Nagpur Date: 9/26/2012 5:03:39 PM |
This sanskar and the rituals associated with it were performed by Aparnatai Kalyani and Meghanatai Phadke-both from Sholapur. They both belonged to Gyan Prabodhini of Pune. Both of them reached Ahilya Mandir three days prior to this initiation ceremony. They conversed with the girls in order to make them understand the importance, propriety and meaning of this sanskars and to make them ready to receive the initiation.
According to the ‘Purohit’ Aparna Kalyani, this ritual of Vidya Vrat sanksar would help the girls to sharpen their intellect and prepare themselves to receive some good moral values. She advised them to follow the 11 vratas as propounded by Mahatma Gandhi for the benefit of the society and self. We must develop our personality by performing daily exercises both physical and intellectual and use all prowess for the service of our beloved motherland, the girls were told.
In an informal chat after the program Vandniya Pramilatai ji recalled that such program was also held during 1990-91 in which the third RSS Chief Balasahab Deoras was present. Somebody then asked him whether he liked such ‘revivalist’ program and rituals. Balasaheb was known as progressive in the RSS family. Therefore, the questioner thought that his answer would come as negative. To his surprise Balasaheb shot back saying that was not his presence enough proof of his admiring this program?


| Source: VSK- KERALA Date: 9/26/2012 3:49:04 PM |
KOZHIKODE (Kerala), 26 Sept. 2012 : On 46th day (22nd september)the master coordinator of Viswa mangala Gograma Yatra Seetharam kedlai reached to the Historic Sammoothiri Dynasty District called Kozhikode, before it was known as Calicut.
| Source: VSK- BHOPAL Date: 9/26/2012 3:25:48 PM |
भोपाल, २६ सितम्बर २०१२ : सांची में बौद्ध एवं भारतीय ज्ञान विश्वविद्यालय के शिलान्यास अवसर पर भोपाल में आयोजित दो दिवसीय धर्म-धम्म सम्मेलन द्वारा रविवार को अंतिम दिन यहां जारी ‘सांची उदघोषणा’ में विश्व शांति एवं समानता का संकल्प लिया गया है।दिल्ली में हिंदू संगठनों का पुलिस मुख्यालय पर प्रदर्शन
नई दिल्ली, 25 सितम्बर 2012 : अदालती आदेश के बाद भी सुभाष पार्क में बनाई गई अवैध मस्जिद के ढांचे को नहीं गिराने से नाराज हिंदू संगठनों ने सोमवार को पुलिस आयुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन किया तथा इस पार्क को अतिक्रमण से मुक्त कराने की मांग की। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पूरे आइटीओ इलाके को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया तथा पुलिस मुख्यालय जाने वाले रास्तों पर बैरीकेड लगा दिए गए। मगर भड़के हिंदू संगठन बैरीकेड तोड़कर पुलिस मुख्यालय की ओर बढ़ गए।
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि हिंदू समाज के सब्र का पैमाना भरता जा रहा है, अब तत्काल ही दिल्ली पुलिस हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए उस ढांचे के मलबे को तुरंत वहां से हटवाए, अन्यथा हालात खराब होते हैं तो दिल्ली पुलिस जिम्मेदार होगी। प्रदर्शन का आयोजन पांडव कालीन मंदिर (सुभाष पार्क) बचाओ संघर्ष समिति दिल्ली के तत्वावधान में किया गया था।
प्रदर्शन में विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रवादी शिवसेना, सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा, इन्द्रप्रस्थ विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, दुर्गा वाहिनी, हिंदू महासभा, सनातन संस्था, हिंदू मंच, अखण्ड हिंदुस्तान मोर्चा, हिंदू रक्षा समिति, हिंदुस्तान निर्माण दल, रामलीला महासंघ, धर्म यात्रा महासंघ सहित कई हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।
इस मौके पर उपस्थित प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने सुभाष पार्क मामले में पुलिस के रवैये की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर ही यमुना बाजार स्थित सैकड़ों वर्ष पुराने मंदिरों को ध्वस्त करने वाली दिल्ली पुलिस सुभाष पार्क स्थित पांडव कालीन मंदिर के आजाद करवाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने में क्यों लगी है। उन्होंने कहा कि हिंदुओं के संदर्भ में दिल्ली हाईकोर्ट के दिए आदेशों पर तो दिल्ली पुलिस हर कीमत पर कानून का पालन करती है मगर उसी अदालत द्वारा ही मुसलमानों के संदर्भ में दिए आदेशों पर कार्यवाही नहीं कर पाती।
इस मौके पर महंत सुरेन्द्र नाथ अवधूत, महामंडलेश्वर स्वामी अनुभूतानंद, महामंडलेश्वर स्वामी राघवानंद, स्वामी साई बाबा, विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रकाश शर्मा, प्रांत महामंत्री सत्येंद्र मोहन, जयभगवान गोयल व संदीप आहूजा आदि ने भी प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया। (सौजन्य- जागरण)
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| Source: VSK- JODHPUR Date: 9/25/2012 4:13:17 PM |
Common Man has potential to bring Social Transformation’: RSS Chief
ALAPPUZHA (Kerala), 25 Sept 2012 : RSS Sarasanghachalak Mohan Bhagwat slammed Central government over poor policies over Bangaldesh Infiltrators in the country, said “People should be united to face challenges before the nation, an integrated effort is needed to resist all anti-national activities. Through self motivation people should come to accept these social responsibilities and should aware of their duties. Common man has potentiality to bring social changes”RSS Chief Mohan Bhagwat was addressing in a SAANGHIK, a gathering of RSS Swayamsevaks on 23rd Sept, at Alappuzha in Kerala. RSS leaders Gopalakrishnan, and several others were present during the occasion. Bhagwat further added, “Inspired by life and message of Swami Vivekananda, Dr KB Hedgewar, the founder of RSS realised that If a nation is united by all sectors, it can face all threats and challenges before it. Hence people should be united. RSS still believes that citizens unity itself is Ramabaan (remedy) for social ailments. Hence our focus is to make society of people, which stands tall by morals, characters and patriotism. RSS indulged in making such man-making mechanism since its inception.” He also remembered the role of RSS Swayamsevaks in maintaining healthy traffic during the valedictory of Samarasata Sangama held at Nagawara, Bangalore. The police were congratulated RSS volunteers for controlling a crowd of of 40,000 within 45minutes, which caused no disturbance to the public, the roads were cleared soon. “The incident showed the expression of social discipline by swayamsevaks learnt in RSS Shakas. Nation needs such citizens who are strongly patriotic, disciplined and committed to society.” said Bhagwat. ![]() ![]() ... ... |
| Source: VSK- ANDHRAPRADESH Date: 9/25/2012 3:46:41 PM |
GUWAHATI, 25 Sept 2012 : Floods and landslides caused by relentless rain in northeast India have killed at least 33 people and displaced more than a million over the past week, officials said on Monday.भारत के साथ रहना चाहता है जम्मू कश्मीर
कानपुर, 25 सितम्बर 2012 : जम्मू कश्मीर में 3 भाग हैं : जम्मू, कश्मीर और लद्दाख यदि कश्मीर के 6 जिलों को छोड़ दिया जाए तो शेष जम्मू कश्मीर में कभी भी भारत विरोधी प्रदर्शन नहीं हुआ। वहॉं के लोग भारत के साथ रहना चाहते हैं। यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह सम्पर्क प्रमुख अरुण कुमार ने वी.एस.एस.डी. कालेज में जम्मू कश्मीर अध्ययन केन्द्र कानपुर द्वारा आयोजित गोष्ठी में रखे। 'जम्मू कश्मीर वर्तमान परिदृश्य और भावी दिशा' विषय पर आयोजित चिंतन गोष्ठी में आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में लद्दाख का क्षेत्रफल 59,000 वर्ग किमी. जम्मू का क्षेत्रफल 27,000 वर्ग किमी. है। जब कि कश्मीर का क्षेत्रफल मात्र 15,000 वर्ग किमी. है। अपनी विविधताओं के कारण 1846 से पहले यह तीनों क्षेत्र अलग-अलग राज्य हुआ करते थे। लद्दाख में 62 प्रतिशत बौद्ध तथा कश्मीर में 85 प्रतिशत हिन्दू, सिख, बौद्ध हैं। यदि हम पूरे जम्मू कश्मीर की बात करें तो वहॉं 70 लाख मुसलमान और 50 लाख हिन्दू, बौद्ध व सिख हैं। जम्मू कश्मीर के 85 प्रतिशत क्षेत्र में आजादी के बाद से आज तक कभी भारत विरोधी प्रदर्शन नहीं हुआ। 15 अगस्त और 26 जनवरी आज भी वहॉं के विशेष पर्वों में से एक हैं। कश्मीर के 5 जिले श्रीनगर, अनंतनाग, कुलवामा, सोफइया और बारामूला जिनका क्षेत्रफल 7 प्रतिशत है, को छोड़ दिया जाए तो शेष कश्मीरी भारत के साथ रहना चाहते हैं। वहॉं का गूजर और राजपूत मुसलमान देशभक्त है उसकी पूरी आस्था भारत के संविधान में हैं। महाराजा हरी सिंह के समय तक जम्मू कश्मीर में 14 देशों के वाणिज्यिक दूतावास थे। अमेरिका और आस्ट्रेलिया को छोड़कर अन्य सभी देशों से गिलगिट होते हुए सड़क मार्ग से जुड़कर व्यापार करने में समर्थ इस मार्ग को सिल्क रूट के नाम से जाना जाता था। पाकिस्तान ने किसी भी अंतर्राष्ट्रीय मंच से जम्मू-कश्मीर पर दावा नहीं किया। जब पाक अधिकृत कश्मीर पर पाकिस्तान ने कैंजा जमा लिया था, उस समय भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने यूएनओ की सिक्योरिटी काउन्सिल में इसकी शिकायत की थी। जिस पर 13 अगस्त, 1948 में यूएनओ ने कुछ सुझाव दिये थे। जिसमें उसने कहा था कि पाकिस्तान को अपनी सेनाएँ हटानी चाहिए। आजाद जम्मू कश्मीर की सेना और न्यायालय समाप्त होना चाहिए। विस्थापितों की वापसी होनी चाहिए। भारत आवश्कतानुसार इस क्षेत्र में अपनी सेना रख सकता है। यह सब कुछ यूएनओ के सिद्धान्तों के अनुसार होना चाहिए। यह प्रस्ताव अमल में न आने के कारण रद्द हो गया। बाद में अमेरिका के नियंत्रण वाले यूएनओ में 22 जनवरी, 1957 को इसी विषय पर हुई चर्चा का जवाब भारत की और से कृष्णा मेनन ने 8.5 घंटे के भाषण में दिया था। जिसके बाद फिर कभी भी यूएनओ में चर्चा नही हुई और वहॉं यह विषय समाप्त हो गया। संविधान की धारा 370 को लेकर भी हमारे मन में कई भ्रम हैं। यह धारा एक अस्थाई धारा है, जिसे भारत का राष्ट्रपति समाप्त कर सकता है। इस धारा के 3 प्रावधान हैं। जम्मू-कश्मीर में भारत का संविधान कैसे लागू हो इसकी चिंता करना। इसके लिए वहॉं संविधान सभा का गठन करना, जो राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट देगी। संविधान सभा का कार्य समाप्त होने के उपरान्त राज्य सरकार के अनुमोदन पर राष्ट्रपति इस धारा को समाप्त कर सकते हैं। वास्तव में इस धारा की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि भारत की स्वतंत्रता के समय ब्रिटिश शासित क्षेत्र भारत और पाकिस्तान में विभाजित हो गया| किन्तु उस समय 500 से अधिक स्वतंत्र रियासतें थीं, जिनमें से अधिकांश तो भारत में सम्मिलित हो गईं फिर भी हैदराबाद, मैसूर, जम्मू-कश्मीर सहित 17 रियासतें आजादी के बाद भारत में सम्मिलित हुईं, इन स्वतंत्र रियासतों को बड़े राज्यों में परिवर्तित करके उनसे अपने प्रतिनिधि संविधान सभा में भेजने के लिए कहा गया था। ये प्रतिनिधि इन राज्यों में चुनाव के उपरांत बनी संसद के द्वारा चुना जाना था। किन्तु ऐसा नहीं हो सका। जम्मू कश्मीर में यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पायी। जिसके कारण धारा 370 का जन्म हुआ। बाद में राजनैतिक कारणों से इस धारा का दुरुपयोग होने लगा। महाराजा हरी सिंह ने उसी विलयपत्र पर हस्ताक्षर किये थे जिस पर अन्य रियासतों ने हस्ताक्षर किये। पं. नेहरू शेख अब्दुल्ला को जम्मू कश्मीर सौंपना चाहते थे, जिससे महाराजा असहमत थे। इसी कारण जम्मू कश्मीर का विलय भारत में देरी से हुआ और हमें धारा 370 की आवश्यकता पड़ी। इसी शेख अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर की सत्ता अपने हाथ आने के बाद अमेरिका के इशारे पर 1951 में भारत के संविधान को मानने से इन्कार कर दिया। शेख और नेहरू के बीच समझौता हुआ, जिसमें उन्होंने नाजायज मांगों को स्वीकार कर लिया। जम्मू कश्मीर में दो निशान, दो संविधान लागू हो गये। इस अनैतिक समझौते के विरुद्ध लद्दाख और जम्मू में बड़ा आन्दोलन चला| जिसमें भाग लेने के लिए जम्मू कश्मीर जाते समय श्यामाप्रसाद मुखर्जी का बलिदान हुआ। किन्तु नेहरू ने इस आन्दोलन को अस्वीकार कर दिया और कहा- "संविधान कुछ नहीं वहां के लोगों की इच्छा सर्वोपरि है। मैं अपने निर्णय पर कायम हूँ।" अपने मुद्दे को समझाते हुए अरुण कुमार जी ने आगे कहा कि, वास्तव में स्वतंत्रता के बाद से जम्मू और लद्दाख के साथ बहुत अन्याय हुआ है। इसलिए आज हमें दो ही बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। एक जम्मू कश्मीर के विषय में अधिक से अधिक सही जानकारी कैसे देश और दुनिया तक पहुंचे, जिससे जनजागरण का निर्माण हो। दूसरा पाकिस्तान और चीन के कैंजे में जम्मू कश्मीर का जो भूभाग है, वह भारत को कैसे वापस मिले। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय सेना के अवकाश प्राप्त कर्नल एस. एन. पाण्डेय ने की। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ. ईश्वर चन्द्र, वीरेन्द्रजीत सिंह, आनन्द जी, मुकेश खाण्डेकर, अरविन्द कुमार आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अरविन्द दीक्षित ने किया। ![]() ... ... |
| Source: VSK- AGRA Date: 9/25/2012 2:50:47 PM |
आगरा, 25 सितम्बर 2012 : वनवासी कठिनाईयों से भरे जीवन में अपनी सभ्यता और संस्कृति को सहेजे हुए हैं। वनवासी वास्तव में भारत और भारतीयता के सच्चे रखवाले हैं। वनवासियों पर किया गया किसी भी प्रकार का आघात भारत को कमजोर करने वाला होगा। उक्त विचार भाजपा के राज्यसभा सांसद तरुण विजय ने रविवार को वनवासी कल्याण आश्रम के वार्षिकोत्सव में मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए व्यक्त किये।| Source: VSK-ENG Date: 9/24/2012 5:24:53 PM |
| Source: VSK-ENG Date: 9/24/2012 5:22:16 PM |
| Source: VSK- JODHPUR Date: 9/24/2012 5:05:11 PM |
| Source: VSK- CHENNAI Date: 9/24/2012 3:02:10 PM |
| Source: VSK- CHENNAI Date: 9/24/2012 2:25:37 PM |
TRICHY, 24 Sept 2012 : A much-awaited third day procession of Vinayaka Chathurthi festival followed by the immersion of idols passed off peacefully with a rousing reception from leaders from all religions in Trichy later in the evening on Friday. Moreover, thousands of devotees were in a jubilant mood as the water from Mettur dam reached Cauvery on Thursday itself.| Source: VSK- CHENNAI Date: 9/24/2012 2:03:34 PM |
AIZAWL, 24 Sept 2012 : Youth of Christian-dominated Mizoram are at a crossroads between passion and religion. The dilemma follows a recent appeal on a ban on playing football on Sundays by the Synod, the highest decision-making body of the powerful Mizoram Presbyterian Church.| DSC06760.JPG 4018K View Download |
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