2012/09/27

अहल्या मंदिर में छात्राओं का ‘विद्याव्रत संस्कार’


अहल्या मंदिर में छात्राओं का ‘विद्याव्रत संस्कार’

Source: VSK-Nagpur      Date: 9/26/2012 5:15:31 PM
$img_titleनागपुर : राष्ट्र सेविका समिति द्वारा संचालित देवी अहल्या मंदिर के वनवासी बालिका छात्रावास की छात्राओं का ‘विद्याव्रत संस्कार’ रविवार दिनांक ९ सितम्बर को सम्पन्न हुआ. समिति की दो पूर्व प्रमुख संचालिकाएं – वन्दनीय उषाताई चाटी तथा वन्दनीय प्रमिलाताई मेढ़े ने इन ४२ बालिकाओं को ‘ॐ’ रेखांकित व्रत चिन्ह प्रदान किया.
समिति द्वारा संचालित इस छात्रावास में रहने वाली बालिकाएं भारत के पूर्वांचल (असम तथा अन्य पूर्वोत्तर राज्यों) की निवासी हैं. इनमें पांच वर्ष से भी कम आयु की पांच बालिकाएं हैं.
विद्याव्रत संस्कार के धार्मिक विधि पुणे ज्ञानप्रबोधिनी की सोलापुर से आई अपर्णाताई कल्याणी और मेघनाताई फडके ने किए. वे दोनों बहने कार्यक्रम के तीन दिन पूर्व ही अहल्या मंदिर में आई और छात्रावास की बालिकाओं को विद्याव्रत संस्कार का अर्थ, महत्व और उपयोगिता समझा कर, उनकी मानसिकता इस संस्कार को ग्रहण करने योग्य बनाने में योगदान दिया.
$img_titleबालिकाओं के विद्याव्रत संस्कार का उल्लेख अनेक प्राचीन भारतीय ग्रंथो में आता है. उस काल में वेदों के अध्ययन का अधिकार महिलाओं को था. वेदों की अनेक रुचाएं महिलाओं द्वारा रची गई हैं. कालांतर में पाणिग्रहण संस्कार, याने विवाह यही एक उनके लिए मुख्य संस्कार बन गया, इसलिए विद्याव्रत या उपनयन संस्कार का लोप हुआ. इस संस्कार के कारण बुद्धि, धारणाए और प्रज्ञा विकसित होने में सहायता होती है. इसलिए ज्ञान प्रोधिनी ने इस संस्कार को पुनः जीवित किया है. देवी अहल्या मंदिर में सम्पन्न इस विद्याव्रत संस्कार से छात्राओं को बुद्धि को परिष्कृत करने में आसानी होगी. उसी प्रकार उनके जीवन में कुछ अच्छे संस्कार भी आ सकेंगे.
महात्मा गाँधी जी के एकादश व्रतों - अहिंसा, सत्य, अस्तेय इत्यादि - का स्मरण एवं अनुसरण करना व्यक्ति तथा समाज के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, ऐसा उपदेश भी छात्राओं को दिया गया.
$img_titleकार्यक्रम के पश्चात बातचीत में वन्दनीय प्रमिलाताई जी ने बताया की इसी प्रकार का विद्याव्रत संस्कार १९९०-९१ में हुआ था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय सरसंघचालक बालासाहेब देवरस उस अवसर पर प्रमुख रूप से उपस्थित थे. उस समय किसी ने बालासाहेब से पूछा गया कि यह सब उनको पसंद और स्वीकार्य है? बालासाहेब आधुनिक विचारों के प्रतिनिधि माने जाते थे और इसलिए उनसे इस संदर्भ में नकारात्मक प्रतिक्रिया आएगी, ऐसा पूछनेवाले का अंदाज़ था. परन्तु, बालासाहेब ने जब यह कहा की इस कार्यक्रम में वे सम्मिलित हुए इस का अर्थ क्या हो सकता है? तो पूछनेवाले आश्चर्य चकित हो गए.
वन्दनीय प्रमिलाताई जी ने यह भी स्मरण कराया की कैसे पूज्य जनार्दन स्वामी जी ने, वन्दनीय मौसी केलकर जी को समिति की महिलाओं को गायत्री मंत्र की दीक्षा देने में मदद की थी.
कार्यक्रम में अहल्या मंदिर की चित्रा ताई जोशी, सुष्मिता जोशी, राधा गोखले, जयश्री जोशी, सुमित्रा वैद्य और अन्य महिलाएं उपस्थित थी.
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