2012/09/27

सांची उद्घोषणा’ में विश्व शांति का संकल्प


‘सांची उद्घोषणा’ में विश्व शांति का संकल्प

Source: VSK- BHOPAL      Date: 9/26/2012 3:25:48 PM
undefinedभोपाल, २६ सितम्बर २०१२ : सांची में बौद्ध एवं भारतीय ज्ञान विश्वविद्यालय के शिलान्यास अवसर पर भोपाल में आयोजित दो दिवसीय धर्म-धम्म सम्मेलन द्वारा रविवार को अंतिम दिन यहां जारी ‘सांची उदघोषणा’ में विश्व शांति एवं समानता का संकल्प लिया गया है।
उद्घोषणा में कहा गया, ‘हम यह भी संकल्प लेते हैं कि शिक्षा, पर्यावरण, अर्थव्यवस्था एवं सामाजिक-राजनीतिक जीवन के सभी क्षेत्रों में समाधान पाने के लिए सनातन धर्म के मार्गदर्शक सिद्धांत ‘धर्मो-रक्षति रक्षित:’ तथा बौद्ध धम्म के मार्गदर्शक सिद्धांत ‘ति-सारण’ का अनुगमन करेंगे।
इसमें कहा गया है कि हम इस अनूठी पहल के जरिए यह संकल्प लेते हैं कि दुनिया भर में जाति, धर्म, नस्ल, रंग एवं लिंगभेद से उबरने के लिए धर्म-धम्म की महान परपंरा, ‘अभ्युदय नि:श्रेयस’ का अनुसरण करेंगे। यह मानव अधिकारों एवं मानवीय गरिमा के लिए जरूरी तत्वों के साथ तादात्म्य स्थापित करने के लिए जरूरी है।
दुनिया भर में सभ्यताओं के टकराव, नेतृत्व की चुनौतियों तथा पर्यावरण एवं सामाजिक संबंधों में गिरावट जैसी वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए यह भी संकल्प लिया गया कि हजारों वर्ष पुरानी धर्म-धम्म परंपरा के बीच बेहतर विकास के लिए विभिन्न विधाओं के अध्ययन और अनुसंधान को बढ़ावा देंगे।
राजनीति के भी समाधान धर्म-धम्म से मिलेंगे : जोशी
दो दिवसीय धर्म-धम्म अंतरराष्ट्रीय सेमिनार धार्मिक परंपराओं के पुनर्जीवन का विचार देकर रविवार को खत्म हो गया। भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने इसे महत्वपूर्ण पहल मानते हुए कहा कि धर्म-धम्म से ही शिक्षा, समाज, समेत राजनीतिक जीवन के भी सारे समाधान हो सकते हैं।
जोशी सेमिनार के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हर हिंदू में बुद्ध और हर बौद्ध में हिंदू है। दोनों धर्म परंपराओं के ही मूल मार्ग पर ले जाते हैं। सनातन और बौद्ध धर्म के बीच संवाद से विश्व का संतुलित विकास होगा। जोशी ने बताया कि नालन्दा में बुद्धिज्म की शिक्षा के साथ ही वैदिक शिक्षा भी दी जाती थी। यह काम सांची विश्वविद्यालय में भी होना चाहिए।
सेमिनार में अमेरिका से आए वेदों के जानकार डॉ. डेविड फ्रावले ने कहा कि सांची विश्वविद्यालय में प्राचीन ज्ञान अध्ययन को नए रूप में पढ़ाया जाएगा। इस सेमिनार में 20 देशों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की। बौद्ध धर्म पर 121 प्रतिभागियों ने शोधपत्र पढ़े।
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