2012/09/27

वनवासीयों पर किये आघात से देश कमजोर होगा- तरुण विजय


वनवासीयों पर किये आघात से देश कमजोर होगा- तरुण विजय

Source: VSK- AGRA      Date: 9/25/2012 2:50:47 PM
$img_titleआगरा, 25 सितम्बर 2012 : वनवासी कठिनाईयों से भरे जीवन में अपनी सभ्यता और संस्कृति को सहेजे हुए हैं। वनवासी वास्तव में भारत और भारतीयता के सच्चे रखवाले हैं। वनवासियों पर किया गया किसी भी प्रकार का आघात भारत को कमजोर करने वाला होगा। उक्त विचार भाजपा के राज्यसभा सांसद तरुण विजय ने रविवार को वनवासी कल्याण आश्रम के वार्षिकोत्सव में मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए व्यक्त किये।

उन्होंने आगे कहा कि देश की आजादी की लडाई में वनवासियोंने अग्रेजों से सैकडों लडाईयॉं लडी, परन्तु आज देश की किसी भी पुस्तक में वनवासी आंदोंलन और उनकी शौर्यगाथाओं पर दस पन्नों का पाठ हमारी पाठ्य पुस्तक में नही पढाया जाता। जबकि देश की सेना की टुकडियों का मान वनवासी बढ़ा रहे है। आज वनवासी जिस प्रकार का दोयम जीवन जी रहे हैं उसके कारण उनके मन में राष्ट्र प्रेम की भावना बनाये रखना एक चुनोंती बन गया है। देश की सरहद पर यदि हमला होता है तो ये वनवासी ही सबसे पहले उसका सामना करते है| यदि वह भटक गया तो एक बार फिर भारत विभाजित हो जायेगा।

हाल ही में आसाम दंगों पर उन्होने कहा कि असमिया लोग अपनी ही धरती पर अपने ही घरों से बेघर हो गये। वो लोग अपना हक पाने के लिए लड रहे हैं, परन्तु दिल्ली की सत्ता में बैठी छद्म सेक्यूलरवादी सरकार आज अपनों की दुश्मन बन गयी है। असम के दंगा पीडितों का दल दिल्ली आया था| उन्होंने फरियाद की कि अपने घर से बेघर होने का दर्द आप दिल्लीवासी महसूस नही कर सकते। आप क्या जाने कि एक रिफ्यूजी का जीवन क्या होता है। आपको तो हमारे दर्द का अहसास तब होगा जब आप को भी कोई बेघर कर देगा।
 उन्होंने कहा कि भगवान राम, राणा प्रताप और शिवाजी की मदद इन्ही वनवासियों ने की थी। सीमा से सटे जंगलों में सड़क, पानी, बिजली जैसी तमाम आधारभूत सुविधाओं से कोंसो दूर रह कर अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के लोग वनवासियों की सेवा करके पुण्य का काम कर रहे हैं। देश की कुल आबादी में 8 प्रतिशत वनवासी हैं जो जंगलों में विषम परिस्थितियों के बीच अपना जीवन गुजर बसर कर रहे हैं। वनवासियों की 98 प्रतिशत आबादी विभन्न प्रकार के आतंक से पीड़ित है। पडोसी मुल्क हथियारबंद आतंकियों को बढावा दे रहे हैं, तो सात समुन्दर पार से सहायता के नाम पर कुछ लोग लाखों डालर लाते हैं और विभन्न लोभ लालच देकर धर्मान्तरण जैसा असंवैधानिक कृत्य कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज वनवासी अपने अस्तित्व को बचाये रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हम सब को मिलकर अपने वनवासी भाईयों की सहायता करनी है ताकि कल को वह यह न कह सकें कि जब हम पर हमले हो रहे थे, तब हिन्दुस्थान और हिन्दुस्थानियों ने हमारी मदद क्यों नही की।
कमला नगर आगरा में सरस्वती विधा मंदिर में सेवा प्रकल्प संस्थान उ0प्र0, उत्तराखण्ड के वार्षिक उत्सव में  वे बिहार, उ.प्र., उत्तराखण्ड़, म.प्र, महाराष्ट्र एवं राजस्थान आदि राज्यों के हजारों युवक डाक्टर और इन्जीनियरिंग आदि की उच्च शिक्षा प्राप्त करके वनवासी भाईयों के बीच जा कर उनके शिक्षित, संस्कारित करने के साथ उनके अधिकारों की जानकारी देकर आत्मनिर्भर बनाने का कार्य कर रहे है, ताकि हिन्दुस्थान जिन्दा रहे।
उन्होंने कहा कि वे उनके मन में तू और मैं में एक रक्त भाव पैदा कर रहे हैं। समाज में बहुतेरे समाजसेवी और चिन्तक वनवासियों की सेवा के अतुलनीय कार्य में सालों से लगे है। उनको न तो किसी पदमश्री की अभिलाषा है और न ही सरकार सच्चे समाज सेवियों को पदमश्री देती है।

तरुण विजय ने कहा कि मीडिया में भी भ्रष्टाचारियों को तो अखबार के पहले पन्ने पर जगह मिल जाती है परन्तु समाज सेवा के कार्यों की खबर और सेवा प्रकल्प अखबार के आठ वे नौवे या दस वे पृष्ठ पर किसी कोने में जगह पाते है। दधीची की तरह सेवा के कार्यों में अपना जीवन होम कर देने वालों की मृत्यु कभी खबर नही बनती परन्तु उसकी शव यात्रा में कौन सम्मिलित हुआ यह खबर महत्व की बन जाती है।

 वार्षिकोत्सव में रेल्वे की सेवा से निवृत्ति के पश्चात मिली अपनी सम्पूर्ण बचत को वनवासियों के उत्थान के लिए दान देने के लिए विनोद और सरोज को तरुण विजय ने उनके सराहनीय योगदान के लिए शाल, माला पहनाकर और नारियल भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के प्रमुख समाज सेवी के.सी.गोयल, मुख्य अतिथि राजकुमार शर्मा, विशिष्ठ अतिथि मुन्ना लाल शर्मा, विशेष अतिथि सुरेन्द्र कुमार शर्मा एवं आगरा प्रभारी नरेन्द्र तनेजा मंच पर मौजूद रहे।
इस अवसर पर रुद्रपुर छात्रावास की छात्राओं ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियॉं देकर अपनी विरासत से सबको रूबरू कराया। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत जंगलों में रहकर वनवासियों की सेवा करने वाली समाजसेवी डा. अनुराधा भाटिया और डा. पंकज भाटिया ने किया।
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